की। हमने कहा कि यदि हराया है तो एक बार फिर हरा दो । रामलाल और नन्दलाल दोनों भाइयों ने (जिन के मकान में रखामों जी उतरे हुए थे कहा कि इनके कहने से व्या लाभ है ? यदि हराया… Continue Reading →
ने कहा कि किसी के साथ खाने या न खाने में हम अधर्म नहीं मानते। ये सब बाते देश और जाति की प्रणा से सम्बन्ध रखती है, वास्तविक धर्म से नहीं। जो समझदार है वे भी बिना आवश्यकता अपने देश… Continue Reading →
हमने एक दिन स्वामी जी से प्रश्न किया कि ईश्वर अरूप है, उसका रूप क्योकर देखें? जब उसका नाम । तो उसका कुछ रूप भी होगा। जिस प्रकार परमाणु समस्त आकाश में उड़ रहे हैं परन्तु कपल सूरज की किरण… Continue Reading →
| उसके१न्त ज्ञान ना ।वास्व ३ और आध्यात्मिक बात ६ नवम्बर सन् १८०९शेमैनेजर के नाम पत्र लिखते है–जबकतदानापूर में प्रतिदिन व्याख्यान १ पांचवा दिन है। यह समाज और समाज के पुरूष बहुत उत्तम हैं। समाज का प्रबन्ध भी बहुत उत्तम… Continue Reading →
एक दिन मुसलमानों ने शरारत को ध्यान से स्थान के बहत ही समीप एक मीलवी वाइज को रखड़ा कर क्या । हिन्दू भी उसके साथ मिले हुए धे वयोकि गत चतजमेरो काग में बहुत चतुर है। यह मौलवी इतना असभ्य… Continue Reading →
जाल यहा पर बहुत से लोग गाड़ी और टमाटर लेकर वहाँ पहंच गये थे मानो एक प्रकार का मेला शा। लट पर लगभग १५ मनुष्य थे । मार्ग में बाजार के दोनों ओर हजारों मनुष्य वे। जोड़ी में चढ़कर यहाँ… Continue Reading →
“फिर हमने सभा की ओर से एक पत्र छेदीलाल को लिखा कि स्वामी जी की कोई और पुस्तक है या नहीं? छेदीलाल ने उत्तर दिया कि सुना है कि लाजर के यहां ही बनाई ‘धेदभाष्यभूमिका’ छपती है जिसा पर हम… Continue Reading →
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